संसार बदल डाला ,
मैंने जीने का अंदाज बदल डाला,
एहसास बदल डाला ,
इतिहास बदल डाला,
अब तो जीने का अंदाज बदल डाला,
आशाएं बदल डाली ,
निराशाऐ कुचल डाला,
गुमसुम रहने का अंदाज बदल डाला,
कुछ मित्र बदल डाले ,
गिरगिट सा बदले रंग,
उन जैसों का संग,साथ बदल डाला,
कुछ खड़े थे नकाब डाले,
दिन में उसे तारे दिखा डाले,
कुछ को तो मैंने भैईया आईने दिखा डाले,
---- निशि द्विवेदी