नाम_____निशि द्विवेदी
कविता के बोल___तपती दोपहरी में सर्द हवा से तुम।
तपती दुपहरी में श्याम सर्द हवा से तुम लगते हो।
प्यासी धरती में कान्हा फुहार के जैसे तुम बरसे हो।।
बेरंगी फूलों में कान्हा आते ही रंग भर देते हो।
वनस्पतियों में जाने कैसे खुशबू तुम भर देते हो।
तपती धरती पर रखते ही पाऊं जल जाते हैं येसे।
तेरी एक आहट को सुनकर दौड़ जाते हैं मिलो येसे।
पशु-पक्षी भी चहेकने लगते जाने ऐसा क्या करते हो।
एक दृष्टि से कान्हा सारी सृष्टि प्रफुल्लित करते हो।।
गर्म लू के थपेड़ों को शीतलहर सा कर देते हो।
मुरझाए फूलों का उपवन गुलशन कर देते हो।।
ओ मेरे जादूगर कान्हा कैसे जादू तुमको आता।
थोड़ा जादू तुम देव बताएं , तुमको अपना ले बनाएं।
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