Saturday, 30 May 2020

मिलन की मंगल बेला।


                नाम____ निशि द्विवेदी
कविता के बोल_____मिलन की मंगल बेला।

मिलन की मंगल बेला।
 श्याम कितना अकेला।

राधा बैठी है तयार। 
 पहने चुनरिया है लाल।

मोहन पगड़ी पहने लाल।
चम चम बिंदिया है लाल।।

मिलन की मंगल बेला ।
श्याम कितना अकेला।।

फूलों की माला भी लाल।
लाल होठ गुलाबी गाल।

सावन की रिमझिम फुहार।
 रस्ता निहारे तुम्हारा।।

हरी मेहंदी हरि हाथ में लागी।
हरि नाम मेहंदी राधा हाथ।।

मिलन की मंगल बेला।
राधाकृष्ण मिलन की बेला।



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