Tuesday, 11 January 2022

न उम्र की सीमा हो,

पिंकी द्विवेदी
१२  ०१ २०२२

जीवन यूं ही साथ में बीते ,
खुशियों की बरसात में बीते,

दुख सुख का अहसास छोड़कर,
जीवन यूं ही मुस्कान में बीते,

गम ना हो कोई दुनिया का,
बस अपना कभी साथ ना छूटे,

जग रूठे तो सारा रूठे,
दिलों का रिश्ता कभी ना टूटे,

बाहों का अटूट हो बंधन,
भारत में हो या हो लंदन,

घड़ी भर को भी जुदा ना होना ,
बात यूं ही आंखों से करना,

नैनों से उतर कर दिल में रखना , 
बाहों का विश्वास भी रखना,

बालों का रंग हो गोरा काला,
खाल भी हो जाए झुर्री वाला,

साथ छोड़ कर कभी ना जाना,
प्यार का रिश्ता सदा निभाना,

खोने का डर

जितनी शिद्दत तुम्हें पाने की थी                 उससे ज्यादा डर तुम्हें खोने का है बस यही है कि तुमसे लड़ती नहीं           तुम यह ना समझना कि...