Friday, 21 October 2022

आरती तुलसी माता की

कार्तिक माह में सुबह और शाम तुलसी की आरती का विधान है इस पवित्र माह में सुबह बृहम मुहुर्त में सितारों को देखकर मौन स्नान करते हैं, और पुजन आदि में गाय के गोबर से आंगन में लीप देकर,घी का दीपक जलाकर आरती करें,येसा करने से  नारायण मोक्ष प्रदान करते हैं और कुटुम्ब को धन धान्य से परिपूर्ण करते हैं और कतकी यानी कार्तिक पूर्णिमा को तुलसी विवाह को पूरे हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है इस दिन एक कहानी भी कही गई हैआरती-

नमो नमो तुलसी महारानी,
नमो नमो हरि की पटरानी,
कौन तेरो पिता?
 कौन महातारी?
किनकी सौ तुम अधिक प्यारी?
नमो नमो ...........
जल मेरो पिता धरती महातारी,
सालिग्राम की अधिक प्यारी,
नमो नमो.....…
काहे को दिया?कहें की बाती?
 काहे को घृत जले सारी राती?
नमो नमो........
सोने को दिया, रुपे की बाती,
सुरहिन (गाय)का धृत जले सारी राती,
नमो नमो.......
सावन तुलसा को जनम भयो है,
भादव में तुलसा के दौ भये पात,
क्वार में तुलसा भयी किशोरी,
कार्तिक तुलसी को रच गयो ब्याह,
भजो नारायण भजौ गोपाल.........
हसि हसि राधा रानी पूछै बात?
राधा --एणि महावर कहां पायो महाराज?
कृष्ण --काहे को राधा रानी भयि बावरी,
मेहंदी की पाती पैर लागि जाए,
भज नारायण भजौ गोपाल..........
हसि हसि राधा प्यारी पूछै बात,
राधा --नैन काजर कहा पायो महाराज,
कृष्ण --कहे को राधा भयी हौ बाबरी,
कलम की श्याही नमन लगि जाय,
भज नारायण भजौ गोपाल.....
हसि हसि राधा प्यारी पूछै बात,
राधा -कपड़े पियर (पीले) कहां पायो महाराज...
कृष्ण -काहे को राधा भयी हौ बाबरी,
 धोबी कपड़ा बदल लै आए,
भज नारायण भजौ गोपाल...
राधा - काहे को कृष्ण हमें बौरायौ,
कृष्ण और तुलसी को रच गयौ ब्याह,
भज नारायण भजौ गोपाल......
जो हम जनती तुलसा सौतन बनिहै,
तुलसी को डालती जर से उखाड़,
भज नारायण भजौ गोपाल....
अन्त में --
 चार चक्कर चार मक्कर,
          चार जन की लोई,
            आवन दो कार्तिक का महिना,
                  तब निपटारा होई,
   
____       जय श्री हरिप्रिया,_________

खोने का डर

जितनी शिद्दत तुम्हें पाने की थी                 उससे ज्यादा डर तुम्हें खोने का है बस यही है कि तुमसे लड़ती नहीं           तुम यह ना समझना कि...