Saturday, 9 November 2024

खोने का डर

जितनी शिद्दत तुम्हें पाने की थी
                उससे ज्यादा डर तुम्हें खोने का है
बस यही है कि तुमसे लड़ती नहीं 
         तुम यह ना समझना कि मैं बदल गई हूं
मेरा गुस्सा आज भी वहीं हैं
बड़े नसीबों से मिले हो इसलिए केयर करती हूं
   प्यार का बस यही दस्तूर है
                        तुम्हारी हर बात हमें मंजूर है
बर्दाश्त होती है कोई दूरी नहीं
                वर्ना तुम्हें ब्लॉक करना मैं भूली नहीं
कहना तो बहुत कुछ है
                  बताना समझती अब जरूरी नहीं
बुरा लगता है तुम्हारा इग्नोर करना
                      घूमा कर बातों को गोल करना
अब क्या लड़ना झगड़ना शोर करना
                         अब किसे  दिखाए बचपना
जब सोचती हूं रह लूंगी तुम्हारे बिना
                         तब छा जाता है अंधेरा घना
मुझे पता है तुम्हारा दिल भर गया है
              फिर भी दूर जाने से दिल डर गया है
चार कदम हम साथ चले थे
                            लेकर आंखों में सौ सपना
बस इसीलिए चूप दूर खड़े है
                        शायद बना सकूं तुम्हें अपना


खोने का डर

जितनी शिद्दत तुम्हें पाने की थी                 उससे ज्यादा डर तुम्हें खोने का है बस यही है कि तुमसे लड़ती नहीं           तुम यह ना समझना कि...