Friday, 23 April 2021

मास्क है ब्रह्मास्त्र,

कोरोना कॉल चल रहा है,
    बाहर जाना भी जरूरी है,
          रात को गर्म दूध में लेना,
               थोड़ी हल्दी बहुत जरूरी है

भागदौड़ भरी जिंदगी में,
    थोड़ा रुकना भी जरूरी है,
         लाखों बिछड़ गए अपनों से,
              इसलिए ठहरना बड़ा जरूरी है,

       प्रातः काल उठकर थोड़ा ,
         करो योगासन कपालभाति,
           स्वस्थ रखो अपने फेफड़े छाती,
              खुल कर जी लो तुम्हें है आजादी,

भूखे पेट कभी ना रहना,
   ग्रीन टी, काढा लो दो बार,
        भारी भोजन करो नहीं तुम,
             खिचड़ी दलिया लो बार-बार,

 पैसे की चिंता मत करना,
      और कमाना करदो बाकी,
           घर बैठ कर खा लो पी लो 
                जीवन  बड़ा  अनमोल  है,
            
 याद करो तुम दादी नानी,
       भूल गए जो बातें  सारी,
            भाग्यवान के धन पड़ जाए,
                और जाऐ जान अभागे की,

मुंह , नाक को ढक कर रखना,
   सैनि्, साबुन हाथ लगाते रहना,
       इससे बच जाएगी जान तुम्हारी
               और  बचे   जान   अपनों   की,

मेरे लिए ना रोए मेरे प्यारे,
     खुशियों भरे हो सारे सपने,
          चेन तोड़ दो महामारी की ,
                 भारत के भावी वीर पुत्र हो,

 मां की लाज सदा रखना,
     मास्क चढ़ा कर नाक पर रखना,
             इसमें शान तुम्हारी है,
                  कसम तुम्हें है माटी की,

कल किसी मां का बेटा मिट्टी ना बने,
     ना मिटे किसी सुहागन का सिंदूर,
            न  रूठे  किसी  बहन  से   राखी,
                ना छिने किसी से बुढ़ापे में लाठी,

एक मास्क ही इकलौता शस्त्र है,
      जो कोरोना को करता निरस्त है,
           कल से यह मंत्र सभी को दोहराना है ,
                     इस कोरोना को जड़ से मिटाना है,

 विश्व साहित्य सेवा संस्थान अंतर्राष्ट्रीय सचिव __
                                                  निशि द्विवेदी

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