बृंदावन की गलिन में ,
मुझे मिलते हैं राधेश्याम।
ऊंची सी बिल्डिंग
दिखते हैं द्यारिका नाथ
झोपड़ी में दर्शन देते,
मेरे बाल गोपाल
शहरों की भागदौड़ में
गूंजे बस राधे श्याम,
गांव के गलियारे में
मिलते हैं गोपीनाथ
जब मैं देखूं आसमान में
वहां बैठे हैं घनश्याम
बाग, बगीचे, फुलों से
देखें मुझको श्री भगवान्
भवरो के गुंजन में,
गूंजे मेरे कृष्ण का नाम
तितली के पंखों से,
जोआती है आवाज
राधे राधे राधे जय जय
राधे राधे श्याम श्याम
चलते चलते दर्शन
मैं करतीं सुबह शाम............
***** Nishi dwivedi****"
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