मेरी अरदास सुन कर,
मेरे श्याम बहुत रोए,
श्याम बहुत रोए ,
घनश्याम बहुत रोए
मेरे इस हाल को देख,
मेरे गोपाल बहुत रोए,
मेरे विचार जान कर,
राधे श्याम बहुत रोए
हमारी व्यथा कथा सुन ,
मेरे हाथ पकड़ बोले
तेरा कर्ज चुकाना है,
असुअं हर्दय धो ले
तेरे हाथों में जस है
ये बात करेंगे
लेखक बन लिख
जो दिल में तुम्हारे ह
ये जान लो तुम बेटी
मेरा हाथ पकड़ तू लिख।
तेरा हाथ पकड़ कर
मेरे साथ तू देना चल।
***** निशि द्विवेदी*****
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