Friday, 22 May 2020

"बचपन"के अधूरे स्वप्न सदा रहे हैं सदा रहेंगे।

कुछ स्वप्न अधूरे बचपन से ,
सदा रहेे हैं सदा रहेंगे।

कागज की नैया पर बैठ,
 नदिया को पार करेंगे

दिवास्वप्न अधूरे बचपन से ,
सदा रहे हैं सदा रहेंगे।

कपड़े के पंखों को सिं कर,
आसमान में उड़ान भरेंगे।

कुछ स्वप्न अधूरे बचपन से ,
सदा रहे हैं सदा रहेंगे।

छाते का पैराशूट बनाकर
आंधियों में उड़ चलेंगे।

दिवास्वप्न अधूरे बचपन 
से सदा रहे हैं सदा रहेंगे





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