नाम__ निशि द्विवेदी
गीत के बोल__हार कहां हमने मानी है।
अभी अभी तो सुबह हुई है।
जीवन के पथ पर खड़े हुए हैं।
अभी तो चलना शुरू किया है।
हार कहां हमने मानी है।
अभी दूर बड़ी मंजिल है।
अभी पहला कदम लिया है।
अलविदा बाकी कहना है।
हार कहां हमने मानी है।
अभी कैसे हम थक जाएंगे।
गठरी को कंधे पर रखकर।
जरूरत का सामान लिया है ।
हार कहां हमने मानी है
सफर बहुत लंबा जाना है।
भूली बिसरी यादें लेकर,
निकल रहा हूं कर तैयारी।
हार कहां हमने मानी है।
अंत समय तक डटे रहेंगे।
पथ पर जो मेरे साथ चलेंगे ।
उन लोगों की बनाई ली सूची।
हार कहां हमने मानी है।
राहों में कांटे लाख मिलेंगे
कुछ चुभेंगे कुछ टूटेंगे,
मरहम की डिबिया लेकर।
निकल रहा हूं कर तैयारी।
हार कहां हमने मानी है।
मुश्किलें लाख मिले राहों में,
हतियार की ढाल को बना,
ढाल सदा आगे करना है।
हार कहां हमने मानी है
लोगों की परवाह न करना ।
लोगों का तो काम है कहना।
दृढ़ संकल्प से बढ़कर आगे
नव निर्माण जीवन करना है।
हार कहां हमने मानी है।
अभी तो चलना शुरू किया है।
दौड़ लगाना है अभी बाकी ।
मंजिल सामने खड़ी मेरे है ।
नदिया करना पार है बाकी।
हार कहां हमने मानी है।
चांद तक तो पहुंच गए हैं।
रहा सूरज को पाना बाकी।
जमीन पर तो बहुत रहे हैं ।
चांद पर जाकर रहना बाकी।
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