Wednesday, 13 May 2020

दीया ही दिया , नहीं कुछ लिया।

सांवरा मेरा सावरिया, शरारत भरी सावारिया में।
राधा को प्रीतम सावारिया, शरारत बड़ी सावरिया में।।

सावरा अपने साजन को , देखे सजनी साजन को।
सखियां देखें सावरे को, सखा सब छेड़े सवारिया ।।

पूनम की चांद रात में ,चम चम चमके राधा ज्यो।
यमुना में दीए जलाए रहे राधा संग प्यारे सावरिया ।।

जगमग दीए जगाए रहे , दोनों जागे सारी रतिया।
नयनों से तीर चलाए रहे, दोनों पूनम की रतिया ।।

दिलों में दीए जगाय कान्हा, नफरतों को प्रवाह करें।
मुसकुरा कर हृदयाघात करे, बांका येंसे प्रहार करे।।

            राधेकृष्ण चरण अनुरागी    _ निशि द्विवेदी

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