गीत के बोल_ प्रेम का दरिया
प्रीतम तुम्हारे प्रेम का दरिया,
हवा जिधर हो उधर ही बहता।
कभी पूरब कभी पश्चिम को चलता ,
उत्तर से होकर दक्षिण भी चलता,
साजन तुम्हारी साथ की शमा,
भटका रही हमें बना परवाना
बोली कुछ और समझते कुछ हो
कहते कुछ और सुनते कुछ हो
बालम बांध कर अपनी बहियां,
बना रहे हो मुझे बावरिया।
मुझ बाला से पहन कर माला,
बना दिया है मुझे मतवाला।
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