Monday, 25 May 2020

तेरी बंसी, मेरी सौतन।।

लेखक _        निशि द्विवेदी,

 गीत के बोल_      ***तेरी बसुरिया मेरी सौतन।**



तेरी बसुरिया ने, 
हां हां तेरी बसुरिया ने ।
कान्हा तेरी बसुरिया ने ,
ओ जी तेरी बसुरिया ने।
 
मैं सुनके घर रुक ना पाई
तेरी बसुरिया सुन मैं भागी दौड़ी आई,.......

 कान्हा तेरी बसुरिया,
मोहे सौतन वन के सताई,
तेरी बसुरिया ,ओ जी तेरी बसुरिया,.........

बांस की होके ,मेरे गले की फांस बन गई है,
तेरे अधरों से लग के, कमर में लिपटती है,
मोरी नजरों में चुभती है , देख सांस अटकती है,

तेरी बसुरिया ,
हां जी तेरी बसुरिया,
कान्हा तेरी बसूरिया ,
प्रीतम तेरी बसुरिया,.........

मोहे एक टका नहीं भाती,
टोना तुम पे करती है।
तुमरे आगे सदा रहती ,
 तुमको पीछे रखती है

यह तेरी बसुरिया ने 
हां जी तेरी बसुरिया ने 
प्रीतम तेरी बसुरिया 
ओ बालम तेरी बसुरिया ने.........

 कभी हाथो को आमंत्रन करती,
कभी होठों का निमंत्रण करती,
 तुम्हारी फूक से अभिमंत्रित होकर,
सारी गोपियां को सम्मोहित करती,

हा जी तेरी बसुरिया,  
प्रीतम तेरी बसुरिया,
 ओ बालम तेरी बांसुरिया,
 ओ मोहन तेरी बांसुरिया।........

ओझा ढूंढ रही हूं , लूंगी उसका सहारा ।
  अबतो पाना है ,इस सौतन से छुटकारा।

आग लागे बंसी में,
 भाड़ में जाए बृज नारी
मेरे सामने मेरा सांवरा,
मैं सांवरे राधा रानी,

तुम मेरे सांवरिया हो।
तुम तो मेरे ही साजन हो
 तुम मेरे ही मोहन हो 
तुम ही तो मेरे प्रीतम हो
 हां जी मेरे ही कान्हा हो।...........



No comments:

Post a Comment

खोने का डर

जितनी शिद्दत तुम्हें पाने की थी                 उससे ज्यादा डर तुम्हें खोने का है बस यही है कि तुमसे लड़ती नहीं           तुम यह ना समझना कि...