सावन में जब दिल टूटा,
कोई अपना मुझसे रूठा,
हम रोते रहे लोग सोचे बरसात हुई,
उनसे वही आखरी मुलाकात हुई।
गरीब कहकर छोड़ गए ,
जो मेरे सबसे करीब थे,
आंसू बरसाती पानी लगे,
आंसू बड़े बदनसीब थे,
क्यों खाई थी कसमे,
क्यों तोड़ी थी रश्मे,
जो किए थे वादे,
भूल गए जो थे मेरे अपने।
ना जाने कब सुबह हुई ,
फिर ना जाने कब शाम हुई,
फिर ना जाने कब दिन हुई,
फिर ना जाने कब रात हुई,
मोहब्बत मेरी बरबाद हुई,
प्रारब्ध था या कोई था हमला,
आंखो से टप टप बह रहे थे मोती,
लोग कह रहे थे मूसलाधार बरसात हुई।
नाम____निशि द्विवेदी
(पिंकी द्विवेदी)
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