कोई अपना नहीं थे तुम,
बड़ा महंगा पड़ा था इश्क,
मेरा सपना हुए थे तुम,
हर पल मुस्कुराती थी,
रो कर तकिया भिगाती थी,
दिल में महसूस करती थी ,
कुछ ना मुंह से कहती थी,
बड़ा महंगा पड़ा था इश्क ,
मेरा सपना हुए थे तुम,
ना दिखते थे तुम सामने ,
तुम्हें ही ढूंढती रहती थी,
समंदर तुमको माना था,
बनी नदियां तुम्हारी थी ,
तुझे अपना समझती थी,
मेरा अपना नहीं थी तुम,
लगाकर मोबाइल में फोटो,
उसे बस जूम करती थी,
बड़ा कमजोर था इश्क़,
उसे सबसे छुपाती थी,
तुम्हें अपना समझती थी,
मेरा अपना नहीं थे तुम,
छुपाकर तकिए में फोटो,
तेरे ख़्वाबों को बुनती थीं,
करके बंद आंखों को,
बस जागती रहती थी,
तुम हकीकत ना बन पाए,
मेरा सपना ही रह गए तुम,
नाम___ निशि द्विवेदी
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