आज मैं खोलूंगी पोल तुम्हारी,
आज मैं सुनाऊंगी सभी को यह कहानी,
आज मैं बोलूंगी सुर तुम्हारे,
आज मैं बजाऊंगी सुर तुम्हारे,
आज मैं खोलूंगी खेल यह सारा,
आज मैं जानूंगी राज तुम्हारा,
आज मैं छेडूंगी तार तुम्हारा,
कैसे पुकारे बंसी मेरा नाम राधा,
आज मैं खोलूंगी पोल तुम्हारी,
आज मैं जानू की बात यह सारी,
आज मैं जानूंगी भेद ये सारा,
सात छिद्र हैं ,
सात है स्वर,
साथ है इससे बचपन का,
धरी अधरन पर,
स्वास खींच के,
प्राण फूंक दे,
श्रद्धा और समर्पण का,
सात सुरों पर उंगली नाचे,
तर्जनी जैसे थरथर कांपै,
राज बोल कर खोल दो कान्हा,
देखकर मेरी आंखों में ,
सौगंध तुम्हें है यमुना की,
है मोहिनी या जादू कोई,
या फिर है कोई हुनर तुम्हारा,
रचनाकार का नाम,_____ निशि द्विवेदी
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