इतना सज धज खड़े हैं,
कान्हा कुछ कहने की नहीं कोई बात है,
करवा चौथ का व्रत करें है मेरी राधा,
बहुत खुशी की यह तो बात है,
छलनी दीपक धारे है मेरी राधा,
एकटक निहारे हैं राधा,
बंसी अधरन लगाए हैं कान्हा,
वह तो सुबह से नहीं कुछ खाए हैं,
उतना ही सज धज खड़ी है मेरी राधा,
कुछ कहने की नहीं कोई बात है,
रूप देख मेरे मोहन को,
आज चंदा ने भी सुर्ख लाल रंग पाए हैं,
आज देख सभी चंदा को ,
फिर देख रहे मोहन को,
अटरा पर अपने अपने पति को,
छोड़ गोपयन भी भाग भाग आई हैं,
लगाए टुकटुकी निहारे बस कान्हा,
वह तो नैनो का सुख रही पाए हैं,
अति आनंद लूट रहे हो जग में,
मेरे कान्हा पर सब लुढ लुढ जाए हैं,
आनंद ही आनंद भयो ब्रज में,
मेरे नयन भी अति आनंद को पाए हैं,
छवि सबसे निराली मेरे श्याम की,
निशि नयन में कृष्ण को बसाए हैं,
जय जय राधे राधे मेरे श्याम जी,
जय जय मुरली वाले घनश्याम जी ,
मेरे नैनों में ही बस कर रहना,
और कहीं तुम ना जाना,
साहित्य सेवा संस्थान
सचिव__ _____ निशि द्विवेदी