Sunday, 1 November 2020

मुख से निकले शब्द, तौल के बोलो।

तुम्हारे मुख से,
 निकले शब्दों को सुनकर,
 खून मेरा खौला था,

क्या उन शब्दों को तुमने ,
मन के तराजू में ,
तौल कर बोला था,

हे कन्हैया ,
कितने कड़वे थे वह शब्द,
क्या उन शब्दों को तुमने ,
चख कर बोला था?

कहां से लाए थे यह शब्द,
शब्दकोश को पूरा निचोड़ा था,
या फिर तुम्हारे मन में ,
शब्दकोश का पोटला था,

जिस पर चलाए थे ,
तुमने शब्दों के बाण,
उसका मन बहुत भोला था,

क्या तुम्हारे ,
तरकस में ,
विश् का कटोरा था,

क्यों दुखाया तुमने ,
उसका ह्रदय,
उसके हृदय में भी तो ,
राम का बसेरा था,

जब तुम्हारे शब्दों के दंश ने,
 उसके हृदय पर आघात ,
किया होगा,

उसका हृदय भी तो,
 बिलख बिलख कर 
रोया होगा,

क्यों करता है एक मानव,
 दूसरे मनुष्य पर ऐसा वार,
जबकि सब जानते हैं कि,
 हर मनुष्य में है ईश्वर का वास,

जब कोई करता होगा ,
तुमसे मीठी बात,
तुम्हारा हृदय ,
 हिंडोले लेता होगा,

साहित्य सेवा संस्थान अंतर्राष्ट्रीय सचिव  
____निशि  दि्वेदी

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