Sunday, 1 November 2020

मुझसे ब्याह रचा लै,

राधाा मुझसे ब्याह रचाा लो
मुझे अपना पति बना लो,

सब मेरी हंसी उड़ावै,
 मुझको बहुत ही लज्जा आवे,

मेरी बूढ़ी हो गई माई ,
मुझको अब सबर होए नाई।

ग्वाल बाल संग आऊं,
और तुम्हें ब्याह ले जाऊं।

तुम रे माखन जैसे हाथ,
 तुम्हारे हाथ मै माखन खाऊ,

तो मुझको प्यारी लागे,
 तुमसे काम न कराऊं,

पानी भी मैं भरकर लाऊं ,
और गांवयै में ही चराऊ,

बस तुम मेरे घर में आजा,
तेरौ रूप मोहै है भाता,


साहित्य सेवा संस्थान 
अंतर्राष्ट्रीय सचिव ___निशि त्रिवेदी


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