मुझे अपना पति बना लो,
सब मेरी हंसी उड़ावै,
मुझको बहुत ही लज्जा आवे,
मेरी बूढ़ी हो गई माई ,
मुझको अब सबर होए नाई।
ग्वाल बाल संग आऊं,
और तुम्हें ब्याह ले जाऊं।
तुम रे माखन जैसे हाथ,
तुम्हारे हाथ मै माखन खाऊ,
तो मुझको प्यारी लागे,
तुमसे काम न कराऊं,
पानी भी मैं भरकर लाऊं ,
और गांवयै में ही चराऊ,
बस तुम मेरे घर में आजा,
तेरौ रूप मोहै है भाता,
साहित्य सेवा संस्थान
अंतर्राष्ट्रीय सचिव ___निशि त्रिवेदी
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