मीठी-मीठी सी याद तुम्हारी आती,
प्यारी प्यारी सी याद तुम्हारी आती,
तेरी बंसी की धुन में मैं राम जाती,
तेरी बंसी तो मुझको पागल कर जाती,
तुम्हारी आंखों में मैं खो जाना चाहती,
तेरे चरणों में थोड़ी जगह हूं चाहती,
मैं तो तेरी ही तेरी रहना चाहती,
सांवरे मालिक तुम मैं हूं तुम्हारी दासी,
हर एक चीजों से तुम्हारी अल्पना बनाती,
तेजपत्ता और सौंफ जीरा इलायची,
मिर्ची दालचीनी और बड़ी इलायची,
तेरे आगे मैं रोज दिया जगाती,
दीवाली भी तेरी, मैं भी तुम्हारी होली,
कान्हा भर दो ना भर दो मेरी झोली,
निशदिन तेरी ही बस तेरी बातें पाती,
रोज सवेरे उठकर तेरे गुणगान गाती,
साहित्यकार का नाम___ निशि द्विवेदी
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