लगा कर रख सकूं कलेजे से तुमको मेरी कहां औकात है।
बसाकर नयन छुपाऊं जग से तुमको, मेरी कहां मजाल?
सजा सकु मैं रोम रोम अपना, तुम सा!
बात कुछ खास नहीं,
दिखा दे एक झलक तू अपना,
फिर तो मुझे मौत भी स्वीकार है,
बना लो मुझे अपनी बंसी की धुन,
इस संसार से हो जाऊं मैं गुम,
देख कर तुमको मैं नैन मुदित हो जाऊंगी,
तुम बिन नहीं कहीं चैन अब पाऊंगी,
स्वरचित रचनाकार __ निशि द्विवेदी
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