Tuesday, 29 December 2020

निशी कृष्ण नैनों में रहना और कहीं तुम ना जाना

राधा तो मेरी सौतन लागे,
सांवरो तो बस मेरो है,

अखियांन मेरी श्याम बसे हैं,
जीभया मेरी श्याम रटे है,

दर्पण देखे राधा रानी,
मृरग नयनी है राधा रानी,

मेरे नयन में बसे बिहारी,
निशि कृष्ण नयन बसाया,

भूल गई सब सुध बुध माया,




 साहित्य सेवा संस्थान अंतर्राष्ट्रीय सचिव __ निशि द्विवेदी

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