Wednesday, 27 January 2021

तेरे चरणों की मैं हूं दासी, तुम बिन रहा उदासी


तेरे रूप बड़ौ अनमोल,
देखने में लागे तनिक न मोल,

कलेजे में ठंडक पड़ जाए ,
जो तू दर्शन देने आए,

तेरी बंसी मैं बन जाऊं,
 तुम्हारे अधरन से लग जाऊं,

तेरी मुंदरी बन कर कान्हा,
 तेरी उंगली में बस जाऊं,

तेरे साथ ही बस जाऊं ,
तुझसे दूर रह ना पाऊं,

तुमरे नैनन में बस जाऊं ,
या फिर तुम्हें नयन बसाऊं,

तुमरे चरणों में बस जाऊं ,
मुख से तुम्हारे भजन में गांऊ,

राधे मेरे श्याम मेरे राधे राधे श्याम,
जय जय राधे राधे श्याम जय जय राधे राधे श्याम

साहित्य सेवा संस्थान,
 अंतर्राष्ट्रीय सचिव ___निशी द्विवेदी

फेरा है चौरासी लाख योनियों का , फिर भी.....

जो आज नया है मित्रों, एक दिन तो पुराना होना है, 
जन्म लिया है आज, एक दिन तो मृत उसे होना है,

मेला है कुम्भ का, एक दिन तो सभी को बिछड़ना है,
ठेला है बस सांसों का, एक दिन तो खड़ा होना है,

चेला है आत्मा , परमात्मारूपी गुरु का उसे होना है,
रेला है रैन बसेरा है, सुबह तलक यहां होना है,

डेरा है कुछ समय का, अब कूच यहां से करना है,
धेला है जिसके पीछे इनसान पड़ा अकेला है,

फेरा है चौरासी का, फिर भी पता सभी को रहता है,
बेरा है किस्मत का , इससे सेवा का मेवा मिलता है,
 साहित्य सेवा संस्थान अंतर्राष्ट्रीय सचिव
साहित्यकार _____निशि द्विवेदी

खोने का डर

जितनी शिद्दत तुम्हें पाने की थी                 उससे ज्यादा डर तुम्हें खोने का है बस यही है कि तुमसे लड़ती नहीं           तुम यह ना समझना कि...