हरी-भरी धरा को खुशबू से महकाया,
रंग बिरंगे फूलों से धरती को सजाया,
वादियों को खुशमिजाज जिसने बनाया,
बारिश की बूंदों से किसने नहलाया,
धुप की रोशनी से धरा को चमकाया,
चांद की चांदनी को पूर्णमासी से दमकाया,
लगाकरअमावस्या का टीका बुरी नजर से बचाया,
झोंक रहे हैं वरिष्ठ जन महामारी की भट्टी में,
डगमगा रही है नैया प्रभु तुमको पार है करनी ,
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