Monday, 3 May 2021

वृक्ष की पुकार,

वृक्ष हरा, घना रूप में विशाल हूं,
   जीवनदान काम है,
       धरा पर अटल खड़े,
            तले वृक्ष नदी बहे,
  बांह फैला हम यहां अटल खड़े,अटल खड़े,
     विहंग साख साख है,
        चातक,मयूर,कोकिला,
          मधुर गीत गा रहे,
 उद्दंड वानर शाख को हिला रहे, हिला रहे,
    पक्षी घोसले धरे,
       कांधे पर मेरे बसे,
           चोच से प्रहार करें,
धने तने को मेरे आसरा बना रहे,आसरा बना रहे,
पुष्प लताओं के झुंड,
अमृता गिलोय भी,
परिवेश को महका रहे,
तने तले पे चींटियों के बिल बने,बिल बने,
मोटी मोटी चीटियां,
कुछ लाल है चीटियां,
समूह को बना रहे,
भुजंग भी मेरे कोटरो में जा रहे, कोटरों में जा रहे,
काले कुछ छोटे बड़े,
शाख पर रेंगते,
धरा को है देखते,
डाल पर मेरी लाखों पत्ते जड़े, लाख पत्ते जड़े, 
 मधुर फल यहां लगे,
 फल पक धरा गिरे,
 कुछ नदी बीच गिरे,
 मधु के छत्ते भी मेरे साख पर लगे,मेरी साख पर लगे,
 मधु को बना रही,
 प्रकृति को सजाए रही,
 खुशी के गीत गा रही,
 बन पिता यहां हम ढाल बंन खड़े, ढाल बन खड़े,
 आंधी और तूफान से,
 लु और तपन से भी,
 बारिश की हर बूंद से,
 सभी को बचा रहे फर्ज को निभा रहे, फर्ज को निभा रहे,
 एक पथिक नदी तटे,
 लगा बड़ा थके थके,
 दूर से चले चले,
 फलों को निहार रहा धरा पर खड़े खड़े, धरा पर खड़े खड़े,
 डाल दिए वहीं पर,
  चार फल पके पके,
  खा के फल जल पिए,
 आभार व्यक्त किया वृक्ष तले खड़े-खड़े, खड़े ,
 कल जोर वृक्ष कहे,
 आभार बोल के मुझे,
  लघु मत कीजिए,
  कह रहा हूं जो मैं उसे सुन लीजिए, उसे सुनने लीजिए
  वृक्ष मत काटिए,
  परिवेश पलने दीजिए,
 धरा करो हरा भरा,
 मनुष्य की तरह हमें भी रहने दीजिए, हमें भी रहने दीजिए,
 पुत्र जने जैसे घर,
 वृक्षारोपण कीजिए,
 मॉल बने ना बने , 
 वृक्ष रहने दीजिए, हमें भी रहने दीजिए,
 ऑक्सीजन का हूं कारखाना,
  ऐसे बढ़ने दीजिए,
  सृष्टि यह सभी की है,
  चक्र चलने दीजिए इन्हें पनपने दीजिए,
  हरा वृक्ष ना काटिए,
  पांच वृक्ष लगाइए,
  गमलों को सजाइए,
   क्यारी को महकाईये
    हरा भरा बनाइए,
   प्रकृति को अब और ना उजाड़ीये ,
   चलिए हाथ में लाइए,
    मिला के हाथ अपने देश को बचाईऐ,
    महामारी से बचाइए,
     यही पाठ अपने बच्चों को सिखाइए,
    गज भर धरा पर मुझे लगाइए,
थोड़ा जल् लाइए,
इस धरा को गहना पहनाईऐ,
 
 विश्व साहित्य सेवा संस्थान अंतर्राष्ट्रीय सचिव-
                                      निशि पिंकी द्विवेदी,
   
   
 

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