Monday, 31 May 2021

दो जून की रोटी

रोटी... रोटी ...रोटी......... दो जून की रोटी,
 बड़े संघर्ष से बनती है........... दो जून की रोटी,

गोल, मोटी, छोटी,  जैसी हो .....दो जून की रोटी,
आड़ी तिरछी भी बन जाती.......दो जून की रोटी,
मां के हाथ से प्यारी लागे....... दो जून की रोटी,
अमीर गरीब सभी खाते .........दो जून की रोटी,

रोटी ....रोटी .....रोटी............. दो जून की रोटी,
 बड़े संघर्ष से बनती है ..........दो जून की रोटी,
 
 किस्मत वालों को मिलती है .....दो जून की रोटी,
 पिता कमा कर लाते हैं .......दो जून की रोटी,
  मां घर बनाती है ,..............दो जून की रोटी ,
  तब जाकर बन पाती हैं ......दो जून की रोटी,

रोटी... रोटी ...रोटी......... दो जून की रोटी,
 बड़े संघर्ष से बनती है........... दो जून की रोटी,
 
किस्मत वालों को मिलती है .....दो जून की रोटी,
सबको कहां नसीब है ............दो जून की रोटी ,
बड़े जंग से मिलती है ............दो जून की रोटी,
 तब संग बैठकर खाते हैं .........दो जून की रोटी,
 
रोटी... रोटी ...रोटी............... दो जून की रोटी,
 बड़े संघर्ष से बनती है........... दो जून की रोटी,

  भाग्य वालों को मिलती है..... दो जून की रोटी 
  अभागे से छिन जाती है .......दो जून की रोटी ,
  परदेस जाता है कमाने .........दो जून की रोटी 
  वहां खरीद के खाता है ........दो जून की रोटी,

रोटी... रोटी ...रोटी............. दो जून की रोटी,
 बड़े संघर्ष से बनती है........... दो जून की रोटी,

   अनमोल बड़ी है............... दो जून की रोटी 
   अपराध कराती है ये .........दो जून की रोटी 
   खून पसीना बहाती है.….... दो जून की रोटी
   आसानी से हाथ ना आती.... दो जून की रोटी

रोटी... रोटी ...रोटी......... दो जून की रोटी,
 बड़े संघर्ष से बनती है........... दो जून की रोटी,

अरमान सजाए बैठे हैं सब ......दो जून की रोटी,
 सबके नाम लिखी ना होती..... दो जून की रोटी,
 कुछ सम्मान से पाते हैं .........दो जून की रोटी ,
 अपमान सह कर कुछ पाते हैं ....दो जून की रोटी

रोटी... रोटी ...रोटी......... दो जून की रोटी,
 बड़े संघर्ष से बनती है........... दो जून की रोटी,

पापी पेट के डिमांड है .....दो जून की रोटी,
कुछ चोरी कर खाते........ दो जून की रोटी ,
 कुछ दान में खिलाते... ....दो जून की रोटी,
 सभी कमा कर खाते .......दो जून की रोटी,

रोटी... रोटी ...रोटी.............. दो जून की रोटी,
 बड़े संघर्ष से बनती है........... दो जून की रोटी,

जरूरत सभी की बन जाती......... .दो जून की रोटी,
दूध मुहे बच्चे को बिकवाती है .......दो जून की रोटी,
मां भी बिकती है देने बच्चे को ......दो जून की रोटी,
मान सम्मान से परे होती है ,........दो जून की रोटी,

रोटी... रोटी ...रोटी.............. दो जून की रोटी,
 बड़े संघर्ष से बनती है........... दो जून की रोटी,

जुदा अपने से करवा देती है .....दो जून की रोटी,
परदेस कभी बसा देती है........दो जून की रोटी,
जरूरत सभी की होती है........दो जून की रोटी,
जिसका नाम लिखा हो उस की होती.. दो जून की रोटी,

रोटी... रोटी ...रोटी.............. दो जून की रोटी,
 बड़े संघर्ष से बनती है........... दो जून की रोटी,
निशि द्विवेदी
 अंतर्राष्ट्रीय सचिव ,
साहित्य सेवा संस्थान, कानपुर उत्तर प्रदेश

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