मोदी जी हम आपसे गुस्सा हैं,
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महिलाओं पर यह क्या सनक आई,
आपकी नहीं है तो सबकी लडवाई,
पहले तो सारी जमा पूंजी निकलाई,
अब लॉकडाउन लगाकर ,
सारी खरीदारी पतियों से करवाई,
पति जान चुके हैं हर कीमत,
कैसे करें महिलाएं जमाखोरी,
हमारी शॉपिंग बंद करवाई,
हमारी लुटिया डुबाई,
पूछ रही है सारी पार्टियां ,
अब किसकी होगी अगवाई,
हमने तो वोट देकर करी भलाई,
तुमने खुद नहीं खाई मलाई,
खा रहे थे जो उनसे छिनवाई,
दो सालों से बंद पड़ी कमाई,
छाती पीट रो रहीं लुगाई,
हम सब की साड़ी छीनवाई,
चाट पकौड़िया बंद कराई,
घर में बिठाई चटाई खटाई,
पार्टियां मेला बंद करवाई,
घर बैठाई रोटियां पकवाई,
हम पर कैसी आफत आई,
बच्चन पर छड़ी चलवाई,
जान आफत में करवाई,
मायके की कैसे दे धमकाई,
घर के बाहर पुलिस बिठाई,
चूलहे जैसी धधक रही है,
पद से अपने भटक रही हैं
कौड़ी को मोहताज खड़ी है,
रात दिन पतियों से लड़ी हैं,*******
अबकी बार हुआ,आगे ना दोहराए,
हम महिलाओं को भी आगे बढ़ाएं,
हमारा वोट अटल है,
हमारा वोट कमल है,
निशि द्विवेदी ,
अंतर्राष्ट्रीय सचिव,
विश्व साहित्य सेवा संस्थान ,
कानपुर उत्तर प्रदेश
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