Monday, 21 June 2021

नारी सशक्तीकरण

नारी हूं मैं,
 मेरा भी तो ,
जीने का मन करता है,

गर्भ समय से कैद में थी,
 कभी तो खुलने का ,
मन करता है,

मैं नारी हूं 
मैं दर्पण हूं ,
मैं प्रेम और समर्पण हूं

मैं बहन हूं ,
मैं बेटी हूं ,
अपने प्रिय की अर्धांगिनी हूं,
और मैं एक मां भी हू

क्यों ,
बिना किसी अपराध के ,
किसी गरीब की बेटी जलती,

क्यों, 
कानून के दफ्तर में ,
यह सारी फाइल दबती,

क्यों ,
मासूम को,
 तिरस्कार है मिलता,
जो करती कोई अपराध नहीं,

क्यों,
 भारत मां के चरणों में,
 नारी की कुर्बानी होती,

क्यों , 
अपराधी को ,
छत्रछाया मिलती है,
राजनीति के सिपासलारोँ से,

वासना से परे होकर देखो,
 नारी सा कोई मित्र नहीं,

नारी हूं मैं,
 मेरा भी तो ,
जीने का मन करता है,

पिंजरे में ,
मैं कैद पड़ी हूं ,
उड़ने का मन करता है,

थोड़ी ,
मुझे आजादी दो,
 पंख फैलाकर खुले आसमानों में,
 मेरा भी, उड़ने का मन करता है,

नारी हूं मैं,
 मेरा भी तो,
 कुछ करने का मन करता है,

घर की चारदीवारी में ,
कैद पड़ी हूं ,
बाहर जाने का मन करता है,

मेरा भी,
देश की प्रगति में ,
हाथ बढ़ाने को मन करता है,

नारी हूं मैं ,
नारी हूं मैं,
 नारी हूं मैं,

(स्वरचित )
रचनाकार का नाम___ निशि द्विवेदी



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