*****विवाह चिता की होती बेदी,******"
_________________________________
रस्म अदायगी करी ये कैसी?
क़साई हाथों सौंप दी बेटी!
कोमल मनसे फूलों जैसी,
बाबुल दी किन हाथों में बेटी,
मजबूरी भी थी क्या येसी,
विवाह चिता की होती बेदी,
जिस पर बैठ कर रोती ,
निशि दिन बाबुल तेरी बेटी,
सात वचन की रीति ये कैसी,
खूंटी से बंध गई तेरी बेटी,
नींद नहीं यहां हमें वैसी,
जिस घर तुमने भेजी बेटी,
कमी यहां सभी गिनाते,
तुम खुश हो खाते टेडी रोटी,
याद तेरी है वह बात,
जो बोली थी फेरे बाद,
मान लो बेटी मेरा कहना,
हर हाल में तू खुश रहना,
मान बढ़ाया बाबुल तेरा,
दुःख सहकर भी नहीं हमें कहना,
सहनशीलता में दक्षता पाई,
मां से भी नहीं कोई बात बताई,
हस कर वहां से मैं चली आई,
जब बुरे होते हालात,
कान्हा जी से कहती,
रोकर मैं एक ही बात,
अगले जनम मोहे बिटिया न किजै.........
No comments:
Post a Comment