Saturday, 25 September 2021

"मन बंजारा"

जी चाहता कोई गीत लिखूं,
हीर रांझा सी प्रीत लिखूं,

                  तलवारों से लड़ी जीत लिखूं,
                   मौसम प्यारा सीत लिखूं,

काली घटा वर्षा पर गीत लिखूं,
लगे मुझे अपना ऐसा मीत लिखूं,

                विवाह के जैसा कोई रीत लिखूं,
                भूल ना सकूं ऐसा अतीत लिखूं,

गुजरे जमाने की ऐसी बात लिखूं,
सो ना सकी ऐसी कोई रात लिखूं,

              इश्क ना हो ऐसी कोई जात लिखूं,
             प्यारा हो सबसे ऐसा कोई साथ लिखूं,

सय हो जिस पर कोई मात लिखूं,
जादू टोना की मैं काट लिखूं,

               नेताओं की खड़ी हुई मैं खाट लिखूं,
               चक्की के पिस्ते दो पाट लिखूं,

घूमने हो ऐसी कोई हॉट लिखूं,
ऑफर आया ऐसा कॉल लिखूं,

              खुशियों से बीता हो ऐसा साल लिखूं,
               लगे प्यारा खेल मुझे फुटबॉल लिखूं,

रजवाड़ा को मैं रॉयल लिखूं,
उबले पानी को बॉयल लिखूं,

मन बंजारा, कभी इधर की कभी उधर की बात लिखूं,।
कृष्ण कभी राधे की, प्रकृति कभी प्रेम की बात लिखूं।।

             विश्व साहित्य सेवा संस्थान ,
              अंतर्राष्ट्रीय सचिव ,
               साहित्यकार -----निशि द्विवेदी

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