वृंदावन के कण कण में जिनका नाम।
वो मेरे कान्हा जी विश्व उनका गुलाम।।
जबसे नयनों में कृष्ण को बसाया ।
तबसे मैने दुनियां को भुलाया।।
जबसे मैने सिर्फ राधे नाम बुलाया।
तबसे स्वप्न में मेरे राधे कृष्ण है आया।
सारी रात कृष्ण ने बनसी को बजाया।
मेरे हृदय में ऐसा परिवर्तन कराया।।
कृष्ण छवि को अपने नैनों में बसाया।
तबसे हर जगह मैने कृष्णा को ही पाया।।
अब तो कन्हैया मेरी नाव के खीवाईय्या।
वही पालनहार के हाथों में मेरी नईआ।
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