Sunday, 17 May 2020

"नादान परिंदे बचपन के,"

नादान परिंदे बचपन के....


बाल हठ करी सभी ने,
नादान परिंदे बचपन के,

दिशा निर्देश बिना ही,
उड़े सभी थे बचपन में,


मां पिता को भी,
परेशान किया था,
बचपन में,
 बाल हट करी सभी ने,
 नादान परिंदे बचपन के,


नकली पंखों को जोड़,
उड़े सभी थे बचपन में,

पापा ने गोद लेकर ,
उड़ाया खूब था बचपन में

 बाल हट करी सभी ने ,
नादान परिंदे बचपन के,

बड़े भैया घुड सवारी ,
खूब कराई बचपन में,

 बाल हट करी सभी ने,
 नादान परिंदे बचपन के,

बारिश के पानी में ,
 नाव तेराई बचपन में,

बाल्टी भर पानी में ,
डुबकियां लगाई ,
बचपन में,


बाल हट करी सभी ने,
नादान परिंदे बचपन के,

नानी, दादी ने कहानी,
खूब सुनाई बचपन में,

जीवन बड़ा सुहाना था,
आभाव ना लगा बचपन में,

उचक के बड़े होने का,
शौक था बचपन से,

बड़े होकर अभाव, 
है बचपन का,

कुछ पल वापस जाकर,
मन खूब सोचता ,
बचपन की,

मन बच्चा बन कर,
 हठ करता है ,
बचपन का,
नाती पोतों से लौटेगा ,
बचपन एक दिन,
 बड़े सुहाने बचपन के दिन,
लगे सुहाने बचपन के दिन,
                                     *****"Nishi dwivedi

No comments:

Post a Comment

खोने का डर

जितनी शिद्दत तुम्हें पाने की थी                 उससे ज्यादा डर तुम्हें खोने का है बस यही है कि तुमसे लड़ती नहीं           तुम यह ना समझना कि...