मेरे दिल की हो गई जीत,
मैं भूली दुनियां की रीत,
मेरे बनें सावारिया मीत,
मै तो लिखूं मोहन पे गीत,
ललाट तपे दिल सीत,
यही प्रीत की रीत,
बिराह करे भयभीत,
भ्रम में मोहन प्रतीत,
भूल गई सारा अतीत,
***** Nishi dwivedi
जितनी शिद्दत तुम्हें पाने की थी उससे ज्यादा डर तुम्हें खोने का है बस यही है कि तुमसे लड़ती नहीं तुम यह ना समझना कि...
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