Sunday, 17 May 2020

अबला नारी

लोग कहते हैं औरतों के पास दिमाग नहीं होता!

चलो माना कि औरत में
 दीमाग नहीं होता,

 बड़ी ख़ुश किस्मत है कि ,
उसमें दिल होता है।

औरत के हिस्से का दिमाक ,
दिया ईश्वर ने पुरुषों को

पुरुष चलाते हैं ,
तभी औरत ठगी जाती।

दिल से सोचकर ही ,
अपना सब खो देती है

अगर औरत दिमाग लगाती तो ,
आज पूजी वही जाती।

लुटा डाला है सम्मान अपना ,
फिर भी उफ़ नहीं करती

क्या क्या नहीं सहन करती है ,
बन अबला वो नारी।

फिर भी अपना जीवन,
 करती अपने परिवार पे वरि।

पुरुष को प्रेरणा देती , 
वही नारी.....२

पुरुष को जीना सिखाती है ,
वही  नारी....२

पुरुष को जीवन भी देती है
वही नारी।.....२

पुरुष की पहली गुरू होती ,
वही नारी....…२

पुरुष को चलना सिखाती,
 वही नारी...२

सारे अत्याचार सह कर,
 भी चुप रहती है।

कभी देखा कि पुरुष पे व्यांग ,
 वो लिखती हो? 

पति वही सात जन्मों तक ,
ईश्वर से मांगे वही नारी.....२

करवाचौथ निर्जला व्रत,
कर पति की दीर्घायु मांगे ,
वही नारी.....२

पति को देवता के रूप
देखे वही नारी.....२

पति चरणों में समर्पित
जीवन अपना करती है

पति के साथ सुख से
रहना चाहै वो नारी...…
 
पति के दुख में,
 दुखी रहती है वो नारी

पति के सुख में सुखी ,
रहना चाहे वो नारी

पति सम्मान पाना चाहे,
जो ना मिलता है नारी को

 पति जो सात वचन भर कर,
 शादी कर के साथ लाता,

मगर घर लाते ही ,
अपना फर्ज भुला देता।

 पत्नी बन कर सारे ,
कर्ज चुकाती है  नारी ,

पति के वार आहत करते,
पति की बात आघात करती।

पिता को गाली सुनती है,
मा की गाली सुनती है

बेटी थी वीरांगना,
पत्नी बन सुन लेती है 
 सब अबला नारी।

 बहू बन सेवा करे वहीं नारी।
जीवन दायनी बन कर ,

नौ महीने पेट में बीज को ,
पालती है वह नारी .....…२

पुरुष को जन्म देने पर 
साबाश हो वो नारी.....  २

अगर जन्मे बेटी तो 
ससुराल पड़े भारी.........२

सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो ,
फिर भी सिकायत नहीं करती। 

जन्म देकर पुरुष का अंश 
 पालती है नारी।

 रात भर जाग जाग कर ,
पुरुष को पालती नारी।

बीमार हो जाय तो ,
दौड़ती भागती है नारी

 सर्दी में खुद को गीले में ,
उसे सूखे में सुलाती है 
वही नारी.....२

धूप छाव में एक समान
रहे  वो नारी....२

जिस घर से आती है,
उसे भूल नहीं पाती

जिस घर में आती है,
उसे भी भूल नहीं पाती 

लाख बुराई पति की,
छिपा रखती है

एक गलती कर,
प्रित्याग करी जाती।

ससुराल अच्छा मिल जाय तो अच्छा
नहीं तो नकर सा जीवन ढोती है।

और भी बहुत कुछ है ,
मगर कहती नहीं है कुछ नारी

क्या क्या नहीं सहन करती
वही नारी.....२

यम से लड़ पति प्राण 
बचाती वही नारी.......२

तिनका तिनका जोर कर,
  घर चलाती है वही नारी

मकान को घर बनाती है 
वही नारी वही नारी

सोचो अगर अपना,
 दिमा़ग चलाती तो क्या होता।

नरक सा जीवन होता है नारी का,
कोई क्या जाने जीवन नारी का।

 दिल से सोच कर ही चुप रहती है
 अगर बोलती तो क्या करती ये पुरुष पार्टी**********


                                        *****nishi dwivedi

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