Wednesday, 20 May 2020

एक तुम्हीं आधार,

 विराट रूप में दर्शन देना 
मेरी सारी चिंता हर लेना 

तुम्हारी याद में व्याकुल हूं
तुम बिन मैं अधूरी दीनानाथ 

मेरे तुम ही हो कन्हैया 
तुम्हारे हाथ में जीवन नैया 

भटक रही हूं चकाचौंध में 
तुम पर बना रहे विश्वास मेरा 

हवाओं में छू कर तुम जाते हो 
कान में बंसी की धुन सुनाते हो 

नासिका में मेरे वह खुशबू है 
वह तेरे मंदिर की खुशबू है 

आए हो तुम मेरे पास मुझे है
 विश्वास तुम हो मेरे आस-पास 
                   
             ******    निशि द्विवेदी*****

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