Wednesday, 20 May 2020

पापी ना बन लाल मेरे, तू सह ना पाएगा वार।

यह तेरे संसार में ,
क्या हो रहा भगवान,
 कितनी बदल गई संतान,

 पाप ढो रहा है सर पर 
जैसे ले जाएगा सब साथ,
 कितना बदल गया इंसान

गाजर मूली के जैसा काट रहा ,
इंसान कितना बदल गया इंसान
धन दौलत ही सब कुछ हो गई ,
बन गया यह मानसिक रोगी

साग सब्जी नहीं है खाता,
मांस भक्षण करता जाता
छोटे जीव जंतुओं को 
कच्चा चबा  रहा इंसान..... कितना..….

पल-पल जीवो की निर्मम
 हत्या कर रहा इंसान 
कैसी बना रहा संतान

रोबोट बच्चे पैदा करेगा 
बेटी भ्रूण हत्या ह ऐसे करता,

कसमें खाकर तेरी ,
झूठ बोल रहा इंसान ,
कितनी बदल गई संतान

इंसानियत सारी बेच खाई है,
 झूठ बोलकर बांटे ज्ञान
कितनी बदल गई संतान

छल कपट पाखंड झूठ 
पर टिके है इसके प्राण 
कितनी बदल गई संतान

यथार्थ सत्य को भूलकर ,
स्वप्न में भाग रहा इंसान ,
कैसे बना रहा संतान
                             
निर्माण किया था सृष्टि का जब,
 मनुष्य ही सबसे सुंदर रचना,
दिमाग इसमें ही डाला था

मेरी बनाई सारी सृष्टि,
 कर डाली बर्बाद,
 कैसी बन गई संतान

योनिया भोग भोग कर ,
मानव पाता है जीवन को ,
होश संभालते सब भूल
 बैठता है मानव जात

मैं भी पछता रहा बनाकर ,
ऐसी मानव जाति 
कैसी बदल गई संतान 
कैसी बना रहा संतान

समय-समय पर बना कर 
ऐसा भेज रहा हूं विकराल
इसे मिटा कर दिखा इंसान

अभी समय है सुधर जा बेटा 
बोल रहा भगवान, मेरा
 सह न पायेगा बार
मर के तुझे है ऊपर आना

छोड़ दे सारे गोरखधंधे,
 बन जा तू इंसान
 शैतान को मिटा
 कर मानेगा भगवान

मान जा बेटा छोड़ नादानी ,
बन जा तू मेरा लाल
ऐसा मत कर तू इंसान
सबको जीने दे जीवन तू 
बस धरती पर बन मेहमान 

कर्म करेगा जैसा 
वैसा भोग के आएगा
इतना समझ जा तू इंसान

                  *****     निशि द्विवेदी*****

No comments:

Post a Comment

खोने का डर

जितनी शिद्दत तुम्हें पाने की थी                 उससे ज्यादा डर तुम्हें खोने का है बस यही है कि तुमसे लड़ती नहीं           तुम यह ना समझना कि...