अश्रु के मोती की माला, करती हूं कृष्ण के नाम।
मोती मेरी आंखो से गिरते, गिरते सुबह शाम।
अश्रु बहते आंखों से, यादों में कान्हा का नाम।
मोहे भूले गए कान्हा ,मै हर पल करतीं हूं याद।
मोती मेरी आंखो के, माला कैसे पिरोए श्याम।
झर झर झरते आंसू, टूटे गिर धरती बह जाएं।
किसी के रोके ना रुकते , कान्हा रोके रुक जाय।
No comments:
Post a Comment