सेषनाग के सिर चढ़ नाचे,नाच रहे ग्वाल बाल भी।
काल भी डर के भागे, ऎसे भगावें मेरे गोपाल जी।
यमुना के तट पर बैठे, रहे बनसी बजाए गोपाल जी।
जैसे भाव होंगे तुम्हारे, छवि वैसी धरिलें गोपाल जी।
मानो तो नादान गोपाल जी, काल से भयंकर गोपाल जी।
छोटे से मेरे गोपाल जी, दल बल साथ रहें गोपाल जी।
लगें देखने में वो भोले ,कम ना समझना मेरे गोपाल जी।
- निशि द्विवेदी
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