बोले कपड़े रंगवालों दो चार जी।
राधा रानी चुनरिया लाई,
बोली इसे रंग दो गोपाल जी।
कौन से रंग चुनरिया रंगु ,
रंग बता रहा हूं रंग चार जी।
सुर्ख लाल गुलाब के जैसा,
पीला रंग लागे कमाल जी।
शर्म से आंखें झुका कर,
बोलीं ये रंग ना मोहे भाए जी।
कौन रंग तोहे भाए वही ,
मोहे बताओ वेसो एंगवाओ जी।
श्याम रंग मोहे भाए,
श्याम से हुए नैना चार जी।
श्याम रंग में रंगो चुनरिया,
मोहे भी रंगदो घनश्याम जी।
श्याम रंग रंगबाई के , मैं तो श्याम के जैसी होली । सतरंगी सांवरिया को पाए के, रोज ही खेलूं होली।
_निशि द्विवेदी
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