Saturday, 9 May 2020

निशिकृष्ण में रह जाओ, बन जाए परिवार यहीं।

रोए असुवन दोनों राधा भी श्याम भी।
बिरहा में जले दोनों राधा भी श्याम भी।
दर्द में रहे दोनों राधा भी श्याम भी।
प्रेम किया दोनों ने राधा भी श्याम भी।
चाह थी दोनों को राधा भी श्याम भी।
बिस्वास रखा दोनों ने राधा भी श्याम भी।
मन्दिर में मिलते हैं दोनों राधा भी श्याम भी।
बृंदावन के कण कण में दोनों राधा भी श्याम भी।
निधिवन में आज भी मिलते हैं दोनों राधा भी श्याम भी। प्रेम किया भगवान् ने भी , राधा ने भी श्याम ने भी।
प्रसन्न होकर देते वरदान भी, प्यारी राधा प्यारे श्याम भी। 

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