नाम,____निशि द्विवेदी
गीत के बोल____हमारी अधूरी कहानी!
तुमसे कहूंगी मैं अपनी जुबानी।
मेरी तुम्हारी एक अधूरी कहानी।
रूप नगर में रहती थी राधा रानी।
प्रेम नगर के कृष्ण कि वो थी दीवानी।
चंदा चकोर के जैसी थी प्रेम कहानी।
कृष्ण बंसी बजाते ,
कृष्ण गाय चराते,
कृष्ण माखन चुराते,
कृष्ण मेहंदी लगाते,
कृष्ण रास रचाते ,
कृष्ण चूड़ी पहनते,
कृष्ण बाल सजाते,
कृष्ण झूला झूलाते,
कृष्ण चाकर बन जाते।
कंस के जैसा था राजा अपराधी।
सबक सिखाना कृष्ण को था बाकी।
कंस मार कृष्ण रुकमणी से हुई शादी।
कृष्ण राजा बन भेजी नगरिया में पाती।
भूलकर राधा मुझको कर लो तुम शादी।
दूत बनाकर भेजा उधो को दे कर पाती।
राधा रोती रही हैं
उधो सुन तो रहे हैं ।
राधा कहती रही हैं।
उधो सुनते रहे हैं ।
राधा बोल रही है।
उधो समझा रहे हैं।
राधा समझ न रही है।
उधो हंस के आए हैं।
उधौ रोके गए हैं।
उधो समझाने आए हैं।
उधो समझ कर गए हैं।
ज्ञानी उधो को सबक लेना था बाकी।
प्रेम पूर्ण परिभाषा राधा ने ऐसी वाची।
प्रेम कथाएं ऐसी जैसे दीया और बाती।
अमर कथा है यह एकमात्र प्रेम कहानी।
कही कृष्ण राधा की अमर प्रेम कहानी।
निधिवन में दिन भर रहती तुलसी रानी।
रात में तुलसी नाचे संग बिहारीराधा रानी।
जय हो राधा रानी जी की,
जय हो बिहारी जी की,
निशि द्विवेदी
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