नाम___निशि द्विवेदी
कविता____मां प्यारी मां मम्मा।
प्यास में एक बूंद पानी की सी मम्मा होती है।
करारी धूप में एक वृक्ष की छाया मम्मा होती है।
सीत ठिठुरते कंपन में जले शमा सी मम्मा होती है।
गर्मी में सर्द हवा का झोंका सी मम्मा होती है।
वर्षा में एक छत के जैसी मम्मा होती है।
तूफानों में मजबूत पकड़ सी मम्मा होती है।
बाढ़ में डूबे को नौका जैसी मम्मा होती है।
थक के चूर हुए को एक छांव जैसी मम्मा होती है।
भूखी अगन को बुझा सकने जैसी मम्मा होती है।
घने वन में चंदन खुशबू सी मम्मा होती है।
संकट की घड़ी दुआ करती वह मम्मा होती है।
सूखे में काले मेंघो सी मम्मा होती है।
बाहर सख्त भीतर मुलायम नारियल मम्मा होती है।
संतान की रक्षा के खातिर नदी पहाड़ विषधर और दुनिया से लड़ जाती है वह मां ,मम्मा होती है ।
Gjb lines👌
ReplyDelete