कुछ तुम कह दो ना,
कृष्णा बोलो ना,
मुंह तो खोलो ना,
राधे सुन लो ना,
लाज तुम छोड़ो ना,
आंखें खोलो ना,
मेरी तरफ देखो ना,
यह हसीन वादियां,
यह सावन की फुहार,
ये खुला आसमां,
यह महकी सी हवा,
ह्रदय बीच ज्योति जागे,
एक तेरे नाम की,
लव जो ना कह सके,
आंखें वह कह देती हैं।
ऊंचे पहाड़ों से ,
एक बार राधा बोलो,
बार बार राधा सुन लो ,
राधा तेरा नाम चारों दिशाओं गूंजे।
निशि द्विवेदी ( स्वरचित)_
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