उलट पलट सा अपना जीवन।
हर तरफ मिली रुसवाई है।
इस पर हक हम किसका समझाएं।
बात अब तक समझ नहीं पाई है।
मायका ने कहा तू धन पराया,
ससुराल कहे पराय घर से आयी है।
उलट पलट से अपना जीवन ।
हर तरफ मिली रुसवाई है।
पिता ने जीवन भर की पूंजी
बेटी विवाह में लगाई है।
पति कहे मेरी सारी कमाई
नागिन बनके कुंडली लगाई है।
उलट पलट सा अपना जीवन।
हर तरफ मिली रुसवाई है।
पत्थर पर सर पटकना
जीवन में कठिनाई है।
अगर कहो मैं चली कमाने ।
बात किसी को नहीं भाई है।
अगर कहो लो घर संभालो।
तो काम ये मेरा नहीं ।
गृहस्थ के घर से रात दिन आती है ।
बस एक आवाज मुझे बताओ हिसाब**********
मुझे बताओ हिसाब,************
____निशि द्विवेदी
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