Friday, 5 June 2020

कोई न जाने कौन सी रात आखिरी बन जाए।

नाम _____निशि द्विवेदी
कविता_______ कोई न जाने कितने ख्वाब अधूरे छूट जाए।




कोई ना जाने कब जीवन समाप्त हो जाए ।
कोई ना जाने कब अंधेरी रात हो जाए।


कोई न जाने कब शरीर से आत्मा रूठ जाए।
कोई न जाने कब सभी से साथ छूट जाए।

कोई न जाने सफर आगे कितना जाएगा।
कोई न जाने कब जग से दिल भर जाएगा।

कोई ना जाने कब यह दिया बुझ जाए।
कोई न जाने कब यह सांस रुक जाए।

कोई न जाने कब  चांद आखरी हो जाए।
कोई ना जाने कौन बात आखरी हो जाए।

कोई न जाने कब मुलाकात आखरी हो जाए।
कोई न जाने कब जीवन का ख्वाब आखरी हो जाए।

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