एक चाय के प्याले के साथ,
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सांझ ढल रही है
निशा का निमंत्रण है।
आओ बैठे चाय पर हम,
कुछ बातें आपस में कर ले,
कुछ तुम अपनी कह लो,
कुछ मेरी भी सुन लो,
मिल जुल बुनेंगे ताना-बाना,
साथ में होगा चाय का प्याला,
कुछ मीठी नमकीन बिस्किट होंगे,
कुछ बातें होंगी खट्टी मीठी,
कुछ पल साथ बैठकर हम तुम,
पुरानी यादों को दोहराएंगे।
जब मिले थे पहली बार ,
तुमको हमसे हुआ था प्यार,
सांझ ढले देखा था तुमको,
कुछ धुंधला सा याद भी होगा,
सारी रात तुम जागे होगे,
तुम्हें भी नींद ना आई होगी,
स्वरचित रचनाकार____ निशि र्द्विवेदी
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