Friday, 31 July 2020

ओ री सखी मैं भी तेरे जैसी होली,

ओ री सखी वह गुजरा जमाना,
क्लास में पीछे बैठकर बतियाना,
साथ बैठ लेक्चर मिस करना,

तेरी कोयल सी मीठी मीठी बोली,
 साथ इमली की खट्टी मीठी गोली,
दोनों की चीजें सेम टू सेम होती,

वह तेरा इंतजार कराना ,
फिर होता था रूठना मनाना,
तेरा मुझ पर हुकुम चलाना,

ओ री सखी कॉलेज का नजारा,
 हाथ लगा खुशियों का पिटारा,
मानो जैसे कुबेर का खजाना,

बड़ा प्यारा था साथ तुम्हारा,
 रिमझिम बरसात का फुआरा,
एक छतरी में दोनों का आना,

ओ री सखी सर्दी का सितम,
कैंटीन के वह गरम समोसे,
 ठंडी उंगलि तेरे गालों को नोचे

ओ री सखी समय निकालो ,
एक बार इसे दोहरा डालो,
साथ बैठ पकौड़े खा लो,

             नाम____निशि दि्वेदी

No comments:

Post a Comment

खोने का डर

जितनी शिद्दत तुम्हें पाने की थी                 उससे ज्यादा डर तुम्हें खोने का है बस यही है कि तुमसे लड़ती नहीं           तुम यह ना समझना कि...