नहीं भाता कोई चेहरा,
तुझे पाना मजबूरी है,
ठहरती कहीं नहीं आंखें,
तेरा मिलना जरूरी है,
कान्हा अब चले आओ,
तेरा आना जरूरी है,
तेरे मंदिर में मेरा आना ,
तेरी मूरत में समा जाना,
तेरी सूरत में जो आंखें,
उन आंखों में ही खो जाना,
दिखे पुतली में तेरा चेहरा,
नहीं कुछ भी नजर आता,
लगा चस्का जब से तेरा,
कुछ और मुझे नहीं भाता,
बस याद मुझे है कृष्ण राधा,
अलावा इसके कुछ नहीं भाता,
सुना है तुम चले आते ,
भक्ति से कोई तुम्हें पुकारे ,
रो रो के नैना जब खो दूंगी ,
तुम्हें कैसे मैं देखूंगी,
यह जीवन मेरा,
तेरे चरणों में ,
समर्पित है,
समर्पित है,
रचनाकार का नाम ___निशि द्विवेदी
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