(पिंकी द्विवेदी)
उड़ती पतंग सा होता जीवन,
तंग डोर में तनाव सा जीवन,
ढीली डोर से बढ़ता जीवन,
जीवन साथी संग हाथ ,
पकड़ कर चलता जीवन,
साथ छूटे तो कटी ,
पतंग सा गिरता जीवन,
साथी सही तो मस्त ,
पतंग सा उड़ता जीवन,
डोर गलत हाथों में ,
तो ढलता जीवन,
जिधर हवा का रुख ,
उधर हो लेता जीवन,
कामयाबी की सीढ़ी पकड़,
कर चढ जाता जीवन ,
डालकर लंगर उसे,
गिरा देता दुश्मन,
सुमति से ,
चले तो चलता जीवन,
कुमति से,
कटी धरा पर गिरता जीवन,
पतंग के जैसा होता जीवन,
तरह तरह की पतंगों सा,
अनेक तरह का होता जीवन,
दिशा एक है ,
अनेक राहों में चलता जीवन,
कौन घड़ी किस दिशा में जाएगा जीवन,
कौन घड़ी किस दिशा में पूरा होगा जीवन,
नाम ____निशि द्विवेदी
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